मुझे तालीम दी है मेरी फितरत ने ये बचपन से … कोई रोये तो आंसू पौंछ देना अपने दामन से ….
Category: बचपन शायरी
कोई तालिम नहीं
कोई तालिम नहीं सीखी हमने, इस दुनियां से..। हम आज भी सच बोलते हैं, मासूम बच्चों की तरह..।।
दुनिया में कुछ
दुनिया में कुछ अच्छा रहने दो।।बच्चे को बच्चा रहने दो|
जरुरतों ने कुचल डाला है
जरुरतों ने कुचल डाला है मासूमियत को साहब यूं.. वक्त से पहले ही बचपन रूठ गया |
मुझे तालीम दी है
मुझे तालीम दी है मेरी फितरत ने ये बचपन से … कोई रोये तो आंसू पौंछ देना अपने दामन से
बचपन कि जिद
ज्यादा कुछ नहीं बदलता उम्र बढने के साथ… बचपन कि जिद समझोतों में बदल जाती है..!!
मेरी माँ ने मुझे
सोच समझकर बर्बाद करना मुझे, बहुत प्यार से पाला है मेरी माँ ने मुझे !!
जब आंख खुली तो
जब आंख खुली तो अम्मा की गोदी का एक सहारा था उसका नन्हा सा आंचल मुझको भूमण्डल से प्यारा था उसके चेहरे की झलक देख चेहरा फूलों सा खिलता था उसके स्तन की एक बूंद से मुझको जीवन मिलता था हाथों से बालों को नोंचा पैरों से खूब प्रहार किया फिर भी उस मां ने… Continue reading जब आंख खुली तो
बच्चों की हथेली
बस्ता बचपन और कागज़ छीन कर तुमने बच्चों की हथेली बेच दी गाँव में दिखने लगा बाज़ारपन प्यार सी वो गुड़ की भेली बेच दी
सियासत मुल्क में
सियासत मुल्क में शायद है इक कंगाल की बेटी हर इक बूढा उसे पाने को कैसे छटपटाता है