हिचकियों से एक बात का

हिचकियों से एक बात का पता चलता है कि कोई हमें याद तो करता है, बात न करे तो क्या हुआ कोई आज भी हम पर कुछ लम्हें बरबाद तो करता है…

आराम से तनहा कट रही थी

आराम से तनहा कट रही थी तो अच्छी थी.. जिंदगी तू कहाँ दिल की बातों में आ गयी ।

सोचो तो क्या लम्हा

सोचो तो क्या लम्हा होगा, बारिश……छतरी…तुम…और मैं…..!!!!

हर रोज़ दरवाजे

हर रोज़ दरवाजे के नीचे से सरक कर आती है सारे जहान की ख़बरें… एक तेरा हाल ही जानना इतना मुश्किल क्यूं है…

आप हमें समझते है ……

हम वो नहीं जो आप हमें समझते है …… हम वो है जो आप समझ ही नहीं पाते है …….

एक जुल्म ही तो है

एक जुल्म ही तो है इंसानों पर, जिसे लोग मोहब्बत कहते है !!

माना उन तक पहुंचती

माना उन तक पहुंचती नहीं तपिश हमारी, मतलब ये तो नहीं कि, सुलगते नहीं हैं हम….!!!

यूँ तो ए-ज़िन्दगी

यूँ तो ए-ज़िन्दगी, तेरे सफर से शिकायते बहुत थी, मगर “दर्द” जब “दर्ज” कराने पहुँचे तो “कतारे” बहुत थी।

पगली मुझे कहनी है

पगली मुझे कहनी है तुमसे बस एक बात, दास्तान लबों से सुनोगी या निगाहों से !!

सहम उठते हैं

सहम उठते हैं कच्चे मकान, पानी के खौफ़ से, उधर महलों की आरज़ू ये है कि, बरसात और तेज हो!!

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