अपनी नाराज़गी कि

अपनी नाराज़गी कि कोई वजह तो बताई होती, हम ज़माने को छोड़ देते एक तुझे मनाने के लिए…

फिर कभी नहीं हो सकती

फिर कभी नहीं हो सकती मुहब्बत सुना तुमने वो शख्स भी एक था और मेरा दिल भी एक ।

आप हमें समझते है ……

हम वो नहीं जो आप हमें समझते है …… हम वो है जो आप समझ ही नहीं पाते है …….

दिलों में रहता हूँ

दिलों में रहता हूँ धड़कने थमा देता हूँ मैं इश्क़ हूँ, वजूद की धज्जियां उड़ा देता हूँ

मंजिल मिल ही जायेगी

मंजिल मिल ही जायेगी, भटकते हुए ही सही.. गुमराह तो वो हैं, जो घर से निकले ही नहीं।

वो जिसकी याद मे

वो जिसकी याद मे हमने खर्च दी जिन्दगी अपनी। वो शख्श आज मुझको गरीब कह के चला गया ।।

साथ थे तो शहर

साथ थे तो शहर छोटा था.. बिछडे तो गलिया भी लम्बी लगने लगी….

बस दिलों को जीतना ही

बस दिलों को जीतना ही जिंदगी का मकसद रखना वरना दुनिया जीतकर भी सिकंदर खाली हाथ ही गया…

हमारी उम्र नहीं थी

हमारी उम्र नहीं थी इश्क़ करने की बस तुम्हे देखा और हम जवां हो गए

ज़मीं से हमें आसमाँ पर

ज़मीं से हमें आसमाँ पर बिठा के गिरा तो न दोगे अगर हम ये पूछें कि दिल में बसा के भुला तो न दोगे|

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