हमने आज खुद को आज़माने की कोशिश की, मोहब्बत से दिल को बचाने की कोशिश की.
Tag: व्यंग्य
हैं तो रिमझिम..
हैं तो रिमझिम.. फुहार से… जनाब की यादें.. मगर मूसलाधार हैं…
याद कर लेना मुझे
याद कर लेना मुझे तुम कोई भी जब पास न हो चले आएंगे इक आवाज़ में भले हम ख़ास न हों..
हम दिलफेक आशिक़ है
हम दिलफेक आशिक़ है, हर काम में कमाल कर दे क्या जरुरत है जानू को लिपस्टिक लगाने की हम चूम के ही होंठ उसके लाल कर दे
रात तो इसी कशमकश
रात तो इसी कशमकश में गुजर जाएगी…. तेरी याद जाएगी तभी शायद नींद आएगी।
सारी महफ़िल लगी हुई थी
सारी महफ़िल लगी हुई थी हुस्न ए यार की तारीफ़ में, हम चुप बैठे थे क्यूंकि हम तो उनकी सादगी पर मरते है !!
यहाँ से ढूंढ़ कर ले जाये
यहाँ से ढूंढ़ कर ले जाये कोई तो मुझ को , जहाँ मैं ढूंढने निकला था बेख़ुदी में तुझे…!
कतरा कतरा मेरे
कतरा कतरा मेरे हलक को तर करती है मेरी रग रग में तेरी मुहब्बत सफर करती है…
तेरा धोखा नही था..!!
मुह फेरना क्या तेरा धोखा नही था..!! मिलना बिछड़ना तो मुकद्दर की बात थी…!!
ऐसे कोई जाता है
ऐसे कोई जाता है क्या…. थोड़े-से तुम मेरे पास रह गए… थोड़ी सी मैं तुम्हारे संग आ गई..