मन्नत के धागे

मन्नत के धागे की तरह बाँधा है तुझे, रब करे ये गाँठे ता-उम्र ना खुल पाये !

मैं कीमती बहुत हूँ

मैं कीमती बहुत हूँ, तुम मुझे खो कर तो देखो|

कब आ रहे हो

कब आ रहे हो मुलाकात के लिये. हमने चाँद रोका है एक रात के लिय|

हमें मालूम है

हमें मालूम है हम से सुनो महशर में क्या होगासब उस को देखते होंगे वो हम को देखता होगा।।

कुछ नहीं मिलता

कुछ नहीं मिलता दुनिया में मेहनत के बगैर.. मेरा अपना साया भी धूप में आने से मिला…!

सीख कर गयी है

सीख कर गयी है वो मोहब्बत मुझसे जिससे भी करेगी बेमिसाल करेगी..!!

मेरे होंठों पे

मेरे होंठों पे दिखावे का तबस्सुम है मगर मेरी आंखों में उदासी के दिए जलते हैं|

मेरी फ़ितरत कि

मेरी फ़ितरत कि मैं खिल जाता हूँ बे-मौसम भी मेरी आदत कि मैं मजबूर नहीं हो सकता !

मुझे महका कर

मुझे महका कर गुजर गया.. वो झोंका जो तुझे छूकर आया था..

आइये बारिशों का

आइये बारिशों का मौसम है, इन दिनों चाहतों का मौसम है…..

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