कितना मुश्क़िल सवाल पूछ लिया… तुमने तो हाल चाल ही पूछ लिया…
Category: शर्म शायरी
इतना तो ज़िंदगी में
इतना तो ज़िंदगी में किसी के ख़लल पड़े हँसने से हो सुकून न रोने से कल पड़े |
कभी चुप तो कभी गुम
कभी चुप तो कभी गुम सी हैं, ये बारिशें भी बिलकुल तुम सी हैं।
गए वो दिन कि शिकवे थे
गए वो दिन कि शिकवे थे जहाँ के… अब अपना ही गिला है और मैं हूँ..
लिख कर संजो लेते हो
लिख कर संजो लेते हो, हर कहानी को फ़ोन में, पर गुलाब छुपाने के लिए वो पन्ने कहाँ से लाओगे!
हमने सूरज की रोशनी में
हमने सूरज की रोशनी में कभी अदब नहीं खोया, कुछ लोग तो जुगनुओं की चमक में मगरूर हो गए…
सफ़र जितने भी थे
सफ़र जितने भी थे सब यादगार रहे …!! कमी रही तो सिर्फ हमसफ़र की …!!
बेशक बेघर हूँ
बेशक बेघर हूँ मैं इस जहाँ में, मगरआशियाँ तेरी यादों का आज भी मेरा दिल ही है….!!
रोते हुए दिल की
रोते हुए दिल की कहानी मत पूछो, कभी इश्क़ करना किरदार बन जाओगे।
लोग कहते है
लोग कहते है दुआ क़ुबूल होने का भी वक़्त होता है, हैरान हूँ मैं किस वक़्त मैंने तुझे नही