बेशक बेघर हूँ मैं इस जहाँ में, मगरआशियाँ तेरी यादों का आज भी मेरा दिल ही है….!!
Category: Shayri-E-Ishq
ये जो खामोश से
ये जो खामोश से अल्फ़ाज़ लिखे है ना, पढ़ना कभी ध्यान से, चीखते कमाल के है…
इश्क था इसलिए
इश्क था इसलिए सिर्फ तुझ से किया….!!! फ़रेब होता तो सबसे किया होता…!!!
काश की कहीं इश्क़ के
काश की कहीं इश्क़ के भी पकोड़े होते हम भी शिद्दत की चटनी के चटोरे होते|
एक रस्म मोहब्बत में
एक रस्म मोहब्बत में बनानी होगी, छोड़ के जाए कोई भी शौक से, मगर वज़ह एक दूसरे को बतानी होगी !
बैठ कर किनारे पर
बैठ कर किनारे पर मेरा दीदार ना कर मुझको समझना है तो समन्दर में उतर के देख !!
बस इतनी सी ख्वाहिश है
दिल की बस इतनी सी ख्वाहिश है मेरी तुमसे मुलाकात हो फिर अंजाम चाहे कुछ भी हो !!
खिड़की के बाहर का
खिड़की के बाहर का मौसम बादल, बारिश और हवा… खिड़की के अन्दर का मौसम आँसू, आहें और दुआ !
फकीरों की मौज का
फकीरों की मौज का क्या कहना साहब, राज ए मुस्कराहट पूछा तो बोले सब आपकी मेहरबानी है !!
आँखें थक गई है
आँखें थक गई है शायद आसमान को तकते तकते…, वो तारा नहीं टुटता.. जिसे देखकर मैं तुम्हें माँग लूँ ….