बस इतनी सी ख्वाहिश है

दिल की बस इतनी सी ख्वाहिश है मेरी तुमसे मुलाकात हो फिर अंजाम चाहे कुछ भी हो !!

एक युग था

एक युग था आँसूओं से मैल धो लेते थे सब… अब जरा सी बात पर खंज़र भी है, पत्थर भी है..

ध्यान तेरे ध्यान में

मुझको ये ध्यान तेरे ध्यान में रह कर आया के तेरा ध्यान मेरा ध्यान बंटाने में है

कुछ जख़्मों की

कुछ जख़्मों की कोई उम्र नही होती…साहेब ताउम्र साथ चलते है ज़िस्म के ख़ाक होने तक…….

मुख्तसर सी जिंदगी

मुख्तसर सी जिंदगी मेरी तेरे बिन बहुत अधूरी है, इक बार फिर से सोच तो सही की क्या तेरा खफा रहना बहुत जरूरी है !!

कहती है मुझसे

कहती है मुझसे की तेरे साथ रहूँगी सदा, बहुत प्यार करती है, मुझसे तन्हाई मेरी !!

जिस नजाकत से…

जिस नजाकत से… ये लहरें मेरे पैरों को छूती हैं.. यकीन नहीं होता… इन्होने कभी कश्तियाँ डुबोई होंगी…

चाँद भी झांकता है

चाँद भी झांकता है अब खिड़कियों से,मेरी तन्हाइयों का चर्चा अब आसमानों में है !!

मैंने कब तुझसे

मैंने कब तुझसे तेरे जाने की वजह पूछी है,पर मुझे छोड़ने से पहले कोई इलज़ाम तो लगा !!

हसरतें जिद्दी औलाद सी

हसरतें जिद्दी औलाद सी होती है… और जिंदगी मजबूर माँ सी..!

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