आलमारी मैं बंद रखा जाता है कभी पहना नहीं जाता हाल अपना भी अब बेवा के जेवर जैंसा हो गया है|
Category: Sad Shayri
नजरे छुपाकर क्या मिलेगा…
नजरे छुपाकर क्या मिलेगा… नजरे मिलाओ,शायद हम मिल जाये
किसे याद किया करता हैं
धुप में कौन किसे याद किया करता हैं पर तेरे शहर में बरसात तो होती होगी
काश एक ख़्वाहिश
काश एक ख़्वाहिश पूरी हो इबादत के बगैर, तुम आ कर गले लगा लो मुझे, मेरी इज़ाज़त के बगैर….!!
आज फिर कुछ लोगों को
आज फिर कुछ लोगों को बेगाना किया जायेगा, आज फिर से मेरे दुश्मनो में इज़ाफ़ा होगा
सारी रात गुज़र जाती है
सारी रात गुज़र जाती है इन्ही हिसाबों में… उसे मोहब्बत थी…? नहीं थी…? है…? नहीं है…
अपनी नाराज़गी कि
अपनी नाराज़गी कि कोई वजह तो बताई होती, हम ज़माने को छोड़ देते एक तुझे मनाने के लिए…
कभी तो मेरी ख़ामोशी का
कभी तो मेरी ख़ामोशी का मतलब खुद समझ लो….! कब तक वजह पूछोगे अंजानो की
जिंदगी अब नहीं संवरेगी
जिंदगी अब नहीं संवरेगी शायद..तजुर्बेकार था.. उजाड़ने वाला…
पेड़ भूडा ही सही
पेड़ भूडा ही सही घर मे लगा रहने दो, फल ना सही छाँव तो देगा