कल फिर जो तुमको

कल फिर जो तुमको देखा दीवार की ओंट से ज़िन्दगी फिर मुस्कुरा उठी नजरों की चोट से

बेजुबान पत्थर पे

बेजुबान पत्थर पे लदे है करोंडो के गहने मंदिरो में..! उसी देहलीज पे एक रूपये को तरसते नन्हें हाथों को देखा है..!!!

दिल में अब कुछ भी

दिल में अब कुछ भी नहीं उन की मोहब्बत के सिवा, सब फ़साने है हक़ीक़त में हक़ीक़त के सिवा ।।

इश्क़ तो बेपनाह हुआ…

इश्क़ तो बेपनाह हुआ…कसम से.. गलती बस ये हुई कि……..हुआ तुमसे

तुम लाख छुपाओ …..

तुम लाख छुपाओ ……मुझसे जो रिश्ता है…. तुम्हारा….. सयाने कहते हैं नजर अंदाज करना भी मुहब्बत है…..

जो दिल की गिरफ्त में

जो दिल की गिरफ्त में हो जाता है, मासूक के रहमों-करम पर हो जाता है, किसी और की बात रास नहीं आती, दिल कुछ ऐसा कम्बख्त हो जाता है, मानता है बस दलीले उनकी, ये कुछ यूँ बद हवास हो जाता है, यार के दीदार में ऐसा मशगूल रहता है, कि अपनी खैरियत भूल कर… Continue reading जो दिल की गिरफ्त में

छलकता है कुछ

छलकता है कुछ इन आँखों से रोज़.. कुछ प्यार के कतऱे होते है ..कुछ दर्द़ के लम्हें|

आग लगाना मेरी

आग लगाना मेरी फ़ितरत में नहीं.., पर लोग मेरी सादगी से ही जल जाये… उस में मेरा क्या क़सूर…!!

मेरी ज़िन्दगी को

मेरी ज़िन्दगी को जब मैं करीब से देखता हूँ किसी इमारत को खड़ा गरीब सा देखता हूँ आइने के सामने तब मैं आइने रखकर कहीं नहीं के सामने फिर कुछ नहीं देखता हूँ|

नींद तो आने को थी

नींद तो आने को थी पर दिल पुराने किस्से ले बैठा अब खुद को बे-वक़्त सुलाने में कुछ वक़्त लगेगा|

Exit mobile version