मैं ख्वाहिश बन जाऊँ

मैं ख्वाहिश बन जाऊँ और तू रूह की तलब बस यूँ ही जी लेंगे दोनों मोहब्बत बनकर.

कल फिर जो तुमको

कल फिर जो तुमको देखा दीवार की ओंट से ज़िन्दगी फिर मुस्कुरा उठी नजरों की चोट से

मोहब्बत सिर्फ देखने से

मोहब्बत सिर्फ देखने से नहीं,कभी कभी बातो से भी हो जाती है…

इक तमन्ना के लिए

इक तमन्ना के लिए फिरती है सहरा सहरा……!! ज़िंदगी रोज़ कोई ख़्वाब नया लिखती है…!!

बेजुबान पत्थर पे

बेजुबान पत्थर पे लदे है करोंडो के गहने मंदिरो में..! उसी देहलीज पे एक रूपये को तरसते नन्हें हाथों को देखा है..!!!

सुबह को कुछ है

सुबह को कुछ है और शाम को है कुछ और, गरीब की तकलीफ़ें अब अमीरों के लिबास जैसी है।

अजब ये मुल्क़ है

अजब ये मुल्क़ है ऐसा हम जहाँ पे रहते हैं, इश्क़ छुपके यहाँ, नफ़रत खुलेआम होती है…!!

आग लगाना मेरी

आग लगाना मेरी फ़ितरत में नहीं.., पर लोग मेरी सादगी से ही जल जाये… उस में मेरा क्या क़सूर…!!

अगर तू आंसू है

अगर तू आंसू है तो फिर….. मेरा भी रोना जरूरी है….

गीली आँखों का

गीली आँखों का दर्द कुछ ख़फ़ा सा है… ये जो सीने में धड़कता है बेवफ़ा सा है…

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