हजारों महफिलें है और लाखों मेले हैं, पर जहां तुम नहीं वहाँ हम अकेले हैं|
Tag: मौसम शायरी
बताओ तो कैसे
बताओ तो कैसे निकलता है जनाज़ा उनका, वो लोग जो अन्दर से मर जाते है…
दो लब्ज़ क्या लिखे
दो लब्ज़ क्या लिखे तेरी याद मे.. लोग कहने लगे तु आशिक बहुत पुराना है|
तू पंख ले ले
तू पंख ले ले और मुझे सिर्फ हौंसला दे दे, फिर आँधियों को मेरा नाम और पता दे दे !!
हम निगाहों में थे
उसके तेवर समझना भी आसां नहीं बात औरों की थी, हम निगाहों में थे
क्यों बताये किसी को
क्यों बताये किसी को हाले दिल अपना, जो तूने बनाया वही हाल है अपना ।।
तेरा अक्सर यूँ भूल जाना
तेरा अक्सर यूँ भूल जाना मुझको अगर दिल ना दिया होता तो तेरी जान ले लेते…!!
एक रूह है..
एक रूह है.. जैसे जाग रही है.. एक उम्र से… ।एक जिस्म है.. सो जाता है बिस्तर पर.. चादर की तरह… ।।
अगर फुर्सत के लम्हों मे
अगर फुर्सत के लम्हों मे आप मुझे याद करते हो तो अब मत करना.. क्योकि मे तन्हा जरूर हुँ, मगर फिजूल बिल्कुल नही.
दर्द बहुत वफ़ादार होता है
दर्द बहुत वफ़ादार होता है… काश इसे देने वाले में भी ये बात होती…