बुरे दिनों में

बुरे दिनों में कर नहीं कभी किसी से आस परछाई भी साथ दे, जब तक रहे प्रकाश

मोहब्बत केअफसानें

अल्फाज़ों में क्या बयाँ करे अपनी मोहब्बत के अफसानें हमारे दिल में तो वो ही वो है, उनके दिल की खुदा जाने..”

कितनी ज़ालिम है

ये बारिश भी कितनी ज़ालिम हे जो यूँ ही आकर चली जाती है… .. याद दिलाती है मेरे मेहबूब की.. और भिगोकर मुझे चली जाती है……

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