ये बारिश भी कितनी ज़ालिम हे जो यूँ ही आकर चली जाती है…
..
याद दिलाती है मेरे मेहबूब की..
और भिगोकर मुझे चली जाती है……
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
ये बारिश भी कितनी ज़ालिम हे जो यूँ ही आकर चली जाती है…
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याद दिलाती है मेरे मेहबूब की..
और भिगोकर मुझे चली जाती है……