लोग कहते हैं..

लोग कहते हैं… नफ़रत ख़राब चीज़ है..! तो मोहब्बत ने कौनसा झूला झुलाया है मुझे..!!

तेरी चाहत में

तेरी चाहत में रुसवा यूं सरे बाज़ार हो गये, हमने ही दिल खोया…और हम ही गुनाहगार हो गये।

किश्तों में खुदकुशी

किश्तों में खुदकुशी कर रही है ये जिन्दगी… इंतज़ार तेरा…मुझे पूरा मरने भी नहीं देता ।

वो जो अँधेरो में

वो जो अँधेरो में भी नज़र आए ऐसा साया बनो किसी का तुम!

ये शाम कबसे

ये शाम कबसे बेकरार है ढलने को. तू इक दफे आँचल में अपने मुझे संभालने की ख्वाहिश तो कर|

मैं वो बात हूँ

मैं वो बात हूँ, जो बनी नहीं.. मैं वो रात हूँ,जो कटी नहीं !!

कितनी ज़ालिम है

ये बारिश भी कितनी ज़ालिम हे जो यूँ ही आकर चली जाती है… .. याद दिलाती है मेरे मेहबूब की.. और भिगोकर मुझे चली जाती है……

तुम्हारी यादोँ मे भीग रहा था

खिड़की से बाहर जो देखा तो आज फिर बादल बरस रहे थे, और मैं अन्दर कतरा-कतरा तुम्हारी यादोँ मे भीग रहा था…!!!

क्यूँ भटकते हो सरे राह बारिश का लुत्फ़ लेने

क्यूँ भटकते हो सरे राह बारिश का लुत्फ़ लेने को, कभी मेरी आँखों में ठहर के देखो ये बेइंतहा बरसती हैं…!!!

ऐ बारिश जरा खुलकर बरस

ऐ बारिश जरा खुलकर बरस, ये क्या तमाशा है….!! इतनी रिमझिम तो मेरी आँखों से रोज होती है…!

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