मज़ा आता अगर

मज़ा आता अगर गुजरी हुई बातों का अफ्साना, कहीं से तुम बयां करते, कहीं से हम बयां करते।।

हम ने तो वफ़ा के

हम ने तो वफ़ा के लफ़्ज़ को भी वजू के साथ छूआ जाते वक़्त उस ज़ालिम को इतना भी ख़याल न हुआ

लिखा जो ख़त हमने

लिखा जो ख़त हमने वफ़ा के पत्ते पर, डाकिया भी मर गया शहर ढूंढते ढूंढते..

तुम आ जाओ

तुम आ जाओ मेरी कलम की स्याही बनकर मैं तुम्हें अपनी ज़िन्दगी के हर पन्ने में उतार दू|

तुम्हारी खुशियों के ठिकाने

तुम्हारी खुशियों के ठिकाने बहुत होंगे, मगर हमारी बेचैनियों की वजह बस तुम हो|

दो ‪‎लब्ज़ क्या लिखे

दो ‪‎लब्ज़ क्या लिखे तेरी ‪याद‬ मे.. लोग कहने लगे तु आशिक‬ बहुत पुराना है|

तू पंख ले ले

तू पंख ले ले और मुझे सिर्फ हौंसला दे दे, फिर आँधियों को मेरा नाम और पता दे दे !!

हम निगाहों में थे

उसके तेवर समझना भी आसां नहीं बात औरों की थी, हम निगाहों में थे

तेरे शहर में

तेरे शहर में आने को हर कोई तरसता है लेकिन वो क्या जाने वहां कोई नही पहुँचता है जो पहुँचता है वो तुझसा ही होकर कोई खुद सा वहां कब पहुँचता है ये तो कुछ शब्दों का भ्रम जाल है इन मंदिर में रखी किताबो का जो हर कोई तुझसे मिलने को तरसता है खुल… Continue reading तेरे शहर में

दुआएं रद्द नही होती

दुआएं रद्द नही होती बस बेहतरीन वक्त पे कबूल होती है…..

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