तुझसे हर कदम पर

ज़िन्दगी तुझसे हर कदम पर समझौता करूँ, शौक जीने का है मगर इतना भी नहीं।

जीने के आरजू में

जीने के आरजू में मरे जा रहे है लोग, मरने के आरजू में जिया जा रहा हु में.

माफ़ी चाहता हूँ

माफ़ी चाहता हूँ गुनाहगार हूँ तेरा ऐ दिल…!! तुझे उसके हवाले किया जिसे तेरी कदर नहीं…

पत्तें से गिरती बून्द

पत्तें से गिरती बून्द हो या गीले बालों से… मौसम का असर तो दोनों पर ही जवां हैं..

हर मर्ज की दवा है

हर मर्ज की दवा है वक्त .. कभी मर्ज खतम, कभी मरीज खतम..।

गिनती तो नहीं याद

गिनती तो नहीं याद, मगर याद है इतना सब ज़ख्म बहारों के ज़माने में लगे हैं…

तारीखें… हज़ारों साल में

तारीखें… हज़ारों साल में बस इतनी ही बदली,पहले दौर था पत्थरों का,अब लोग हैं पत्थरों के…!!

सहम उठते हैं

सहम उठते हैं कच्चे मकान, पानी के खौफ़ से, महलों की आरज़ू ये है की, बरसात तेज हो…

रहने दो अब कोशिशे

रहने दो अब कोशिशे , तुम मुझे पढ़ भी ना सकोगे.. बरसात में कागज की तरह भीग के मिट गया हूँ मैं…

शाम का वक्त

शाम का वक्त हो और ‘शराब’ ना हो…!इंसान का वक्त इतना भी ‘खराब’ ना हो..

Exit mobile version