ज्यादा कुछ नहीं बदलता उम्र बढने के साथ… बचपन कि जिद समझोतों में बदल जाती है..!!
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आज हालात देखकर
बचपन में एक पत्थर तबियत से ऊपर उछाला था कभी…! . . आज हालात देखकर लगता है . . कहीं वो “ऊपर-वाले” को तो नहीं लग गया…!!
रात हुई और सो गए
वो बचपने की नींद तो अब ख़्वाब हो गई क्या उम्र थी कि रात हुई और सो गए ।
थोडा नादान हूँ
थोडा नादान हूँ, कभी कभी नादानी कर जाता हूँ, किसी का दिल दुखाना मेरी फितरत नही है…. …
बचपन में जब
बचपन में जब चाहा हँस लेते थे, जहाँ चाहा रो सकते थे. अब मुस्कान को तमीज़ चाहिए, अश्कों को तनहाई ..
इस बनावटी दुनिया में
इस बनावटी दुनिया में कुछ सीधा सच्चा रहने दो, तन वयस्क हो जाए चाहे, दिल तो बच्चा रहने दो, नियम कायदो की भट्टी में पकी तो जल्दी चटकेगी, मन की मिट्टी को थोडा सा तो गीला, कच्चा रहने दो|
जिन्दगी की दौड़ में, तजुर्बा कच्चा ही रह गया,
जिन्दगी की दौड़ में, तजुर्बा कच्चा ही रह गया, हम सिख न पाये ‘फरेब’ और दिल बच्चा ही रह गया !
Before you can win
Before you can win, you have to believe you are worthy.
चिड़ियाँ उड़ तोता उड़
अरे हम तो हाथी को भी हवा में उड़ा दिया करते थे. . . . . . . . . . . . . . वो अलग बात है की अब चिड़ियाँ उड़, तोता उड़ खेलना छोड़ दिया..
जिंदगी में कुछ भी मुफ्त में नहीं मिलता
जिंदगी में कुछ भी मुफ्त में नहीं मिलता, बचपन खोया तब जाकर जवानी मिली…!!!