उसने कहा हम दिन और रात जैसे है, कभी एक नही हो सकते..!! मैंने कहा आओ शाम को मिलते है….!
Category: औकात शायरी
हाथ पकड़ कर
हाथ पकड़ कर रोक लेते अगर,तुझपर ज़रा भी ज़ोर होता मेरा, ना रोते हम यूँ तेरे लिये, अगर हमारी ज़िन्दगी में तेरे सिवा कोई ओर होता !
आये हो आँखों में
आये हो आँखों में तो कुछ देर तो ठहर जाओ, एक उम्र लग जाती है एक ख्वाब सजाने में…
माना कि औरों के
माना कि औरों के जितना मैंने पाया नहीं.. मगर खुश हूँ.. कि खुद को गिरा कर, कुछ उठाया नहीं..!!!
अगर परछाईंया कद से
अगर परछाईंया कद से और बातें औकात से ज्यादा होने…तो समझ लीजिये कि सूरज डूबने वाला है….
जुड़ना सरल है
जुड़ना सरल है… पर जुड़े रहना कठिन….
सभी ने देख लिया
तुम्हारी बात तुम्हारे ख्यालों मै गुमसुम !! सभी ने देख लिया मुझको मुस्कुराते हुए !!
तुम नहीं आओगी
तुम नहीं आओगी कभी यह जानता हूँ , फिर भी दरवाजे पर हर दस्तक मुझे अपनी सी लगती है|
अभी महफ़िल ना उठाओ
रुको अभी महफ़िल ना उठाओ…. कि एक नया दर्द लेकर आया हु अभी अभी|
कुछ तो असर था
कुछ तो असर था उसकी मुस्कराहट मे तभी तो..!! आज भी ये दिल दुनिया कि भिड़ मे उसे ही ढूंढता है..!!