दो लब्ज़ क्या लिखे तेरी याद मे.. लोग कहने लगे तु आशिक बहुत पुराना है|
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आँखोँ के परदे भी
आँखोँ के परदे भी नम हो गए बातोँ के सिलसिले भी कम हो गए. . . पता नही गलती किसकी है वक्त बुरा है या बुरे हम हो गए. .
तू पंख ले ले
तू पंख ले ले और मुझे सिर्फ हौंसला दे दे, फिर आँधियों को मेरा नाम और पता दे दे !!
तेरी आवाज़ आज भी
तेरी आवाज़ आज भी मेरे कानों में गूंजा करती है, वो तेरा एक बार का कहना “तुम सिर्फ मेरे हो ..!
अगर फुर्सत के लम्हों मे
अगर फुर्सत के लम्हों मे आप मुझे याद करते हो तो अब मत करना.. क्योकि मे तन्हा जरूर हुँ, मगर फिजूल बिल्कुल नही…
कभी यूँ भी
कभी यूँ भी हुआ है हंसते-हंसते तोड़ दी हमने… हमें मालूम नहीं था जुड़ती नहीं टूटी हुई चीज़ें..!!
कई रिश्तों को
कई रिश्तों को परखा तो नतीजा एक ही निकला, जरूरत ही सब कुछ है, महोब्बत कुछ नहीं होती…..
मुझ पर इलज़ाम झूठा है
मुझ पर इलज़ाम झूठा है मोहब्बत की नहीं थी हो गयी थी|
हिचकियों में वफ़ा को
हिचकियों में वफ़ा को ढूँढ रहा था मैं..! कमबख्त गुम हो गई…दो घूँट पानी से .. !!
बात हुई थी
बात हुई थी समंदर के किनारे किनारे चलने की.. बातों बातों में निगाहों के समंदर में डूब गए..