अगर फुर्सत के लम्हों मे

अगर फुर्सत के लम्हों मे आप मुझे याद करते हो तो अब मत करना.. क्योकि मे तन्हा जरूर हुँ, मगर फिजूल बिल्कुल नही…

मुझ पर इलज़ाम झूठा है

मुझ पर इलज़ाम झूठा है मोहब्बत की नहीं थी हो गयी थी|

वो रूह में

वो रूह में उतर जाये तो पा ले मुझको इश्क़ के सौदे मैं जिस्म नहीं तौले जाते|

हिचकियों में वफ़ा को

हिचकियों में वफ़ा को ढूँढ रहा था मैं..! कमबख्त गुम हो गई…दो घूँट पानी से .. !!

बात हुई थी

बात हुई थी समंदर के किनारे किनारे चलने की.. बातों बातों में निगाहों के समंदर में डूब गए..

अब कहां दुआओं में

अब कहां दुआओं में वो बरकतें,…वो नसीहतें …वो हिदायतें, अब तो बस जरूरतों का जुलुस हैं …मतलबों के सलाम हैं

खतावार समझेगी दुनिया

खतावार समझेगी दुनिया तुझे .. अब इतनी भी ज्यादा सफाई ना दे

एक मुद्दत से

एक मुद्दत से तुम निगाहों में समाए हो…! एक मुद्दत से हम होंश में नहीं हैं ..!!

वो पगली समझती है

वो पगली समझती है के उसने मेरा दिल तोड़ दिया वो नहीं जानती वही दर्द बयां करके हमने यहाँ लाखो का दिलजीत लिया |

Exit mobile version