बात हुई थी

बात हुई थी समंदर के किनारे किनारे चलने की.. बातों बातों में निगाहों के समंदर में डूब गए..

घर की इस बार

घर की इस बार मुकम्मल मै तलाशी लूँगा ग़म छुपा कर मेरे माँ बाप कहाँ रखते है|

यादों के सहारे

यादों के सहारे दुनिया नही चलती, बिना किसी शायर के महफ़िल नही बनती, एक बार पुकारो तो आए दोस्तों, क्यों की दोस्तों के बिना ये धड़कने नही चलती…

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