बात हुई थी समंदर के किनारे किनारे चलने की.. बातों बातों में निगाहों के समंदर में डूब गए..
Category: Urdu Shayris
घर की इस बार
घर की इस बार मुकम्मल मै तलाशी लूँगा ग़म छुपा कर मेरे माँ बाप कहाँ रखते है|
यादों के सहारे
यादों के सहारे दुनिया नही चलती, बिना किसी शायर के महफ़िल नही बनती, एक बार पुकारो तो आए दोस्तों, क्यों की दोस्तों के बिना ये धड़कने नही चलती…