अब कहां दुआओं में वो बरकतें,…वो नसीहतें …वो हिदायतें, अब तो बस जरूरतों का जुलुस हैं …मतलबों के सलाम हैं
Category: वक़्त
ज़रा सम्भाल कर
ज़रा सम्भाल कर रखियेगा इन्हे…रिश्ते हैं, कपड़े नहीं, कि रफ़ू हो जायें…!
तैर गये यूँ
तैर गये यूँ तो हम सारा समुंदर, डूबे तो तेरी आखों में डूबे…