एक एक पन्ना हर कोई बांट लेते है मतलब की… सुबह-सुबह मां घर में अखबार जैसे हो जाती है…
Category: Pyari Shayari
सबूतों और गवाहों
सबूतों और गवाहों की साहब… यहाँ सेल नहीं होती, आपने जुर्म-ए-मोहब्बत किया है, इसमें बेल नहीं होती।
शाख़ें रहीं तो
शाख़ें रहीं तो फूल और पत्ते भी ज़रूर आयेंगे… ये दिन अगर बुरे हैं तो अच्छे भी ज़रूर आयेंगे…!!!
जरा देखो तो ये दरवाजे
जरा देखो तो ये दरवाजे पर दस्तक किसने दी है, अगर ‘इश्क’ हो तो कहना, अब दिल यहाँ नही रहता..
कैसे ज़िंदा रहेगी
कैसे ज़िंदा रहेगी तहज़ीब ज़रा सोचिये….. पाठशाला से ज़्यादा तो मधुशाला है शहर में..
सूरज रोज़ अब भी
सूरज रोज़ अब भी बेफ़िज़ूल ही निकलता है । तुम गये जब से उजाला नहीं हुआ….
मुझे लत है!!
मुझे लत है!! मै खुद को खोद खोद कर.. खुद में पीड़ा खोजता हूँ!! और फिर उस पीड़ा के नशे में.. मै खुद को दफन कर देता हूँ !!
बेजुबान पत्थर पे
बेजुबान पत्थर पे लदे है करोंडो के गहने मंदिरो में ।उसी दहलीज पर एक रूपये को तरसते नन्हें हाथों को देखा है।
जीने का ज्यादा तजुर्बा
मुझे ज़िन्दगी जीने का ज्यादा तजुर्बा तो नहीं हैं पर सुना है लोग सादगी से जीने नहीं देते|
उस को भी
उस को भी हम से मोहब्बत हो ज़रूरी तो नहीं… इश्क़ ही इश्क़ की क़ीमत हो ज़रूरी तो नहीं…..