हिचकियों में वफ़ा को ढूँढ रहा था मैं..! कमबख्त गुम हो गई…दो घूँट पानी से .. !!
Category: मौसम
फासलों से अगर
फासलों से अगर.. मुस्कुराहट लौट आये तुम्हारी… तो तुम्हे हक़ है.. कि तुम… दूरियां बना लो मुझसे….
आंखें भी खोलनी पड़ती हैं
आंखें भी खोलनी पड़ती हैं उजाले के लिए… सूरज के निकलने से ही अँधेरा नहीं जाता….
तुम्हारे वक्त से है
मेरी नाराज़गी तुमसे नहीं, तुम्हारे वक्त से है, जो तुम्हारे पास मेरे लिए नहीं है..
अपनों के बीच
अपनों के बीच, गैरो की याद नहीं आती। और गैरो के बीच, कुछ अपने याद आते हैं।
तब्दीली जब भी आती है
तब्दीली जब भी आती है मौसम की अदाओं में किसी का यूँ बदल जाना बहुत ही याद आता है …
दिखती भीड़ है
अजीब तरह के, इस दुनीयाँ में मेले है… ! दिखती भीड़ है और, चलते सब अकेले है… !!