मुझको मेरी शक्ल

मुझको मेरी शक्ल आज लग रही है अजनबी.. ना जाने कौन मेरे घर के आईने बदल गया…!!

कल रात मौत आयी थी

कल रात मौत आयी थी गुस्से मेँ बोली जान ले लुंगी तेरी.. मैने भी कह दिया: जिस्म ले जाओ, . जान तो दोस्तों के पास हैं..!!

कौन कहता है

कौन कहता है आईना झूठ नहीं बोलता… वह सिर्फ होठो की मुस्कान देखता है… दिल का दर्द नहीं…!!

तू बेइन्तेहा बरस के

तू बेइन्तेहा बरस के तो देख।। मिट्टी का बना हूं, महक उठुंगा।।

काश ये दिल

काश ये दिल शीशे का होता.. कम से कम तोड़ने वाले के हाथ मे ज़ख़्म तो होता|

आइना फिर आज

आइना फिर आज रिश्वत लेते पकड़ा गया… दिल में दर्द था, फिर भी चेहरा हँसता हुआ दिखाई दिया….!

बारिश में रख दो

बारिश में रख दो इस जिंदगी के पन्नों को, कि धुल जाए स्याही, ज़िन्दगी तुझे फिर से लिखने का मन करता है कभी- कभी।।

जिंदगी जख्मो से भरी हैं

जिंदगी जख्मो से भरी हैं वक़्त को मरहम बनाना सीख लो , हारना तो मौत के सामने फिलहाल जिंदगी से जीतना सीख लो…

अगर फुर्सत के लम्हों मे

अगर फुर्सत के लम्हों मे आप मुझे याद करते हो तो अब मत करना.. क्योकि मे तन्हा जरूर हुँ, मगर फिजूल बिल्कुल नही…

मुझ पर इलज़ाम झूठा है

मुझ पर इलज़ाम झूठा है मोहब्बत की नहीं थी हो गयी थी|

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