बहुत देता है तू उसकी

बहुत देता है तू उसकी गवाहियाँ और उसकी सफाईयाँ, समझ नहीं आता तू मेरा दिल है या उसका वकील.

मन्दिर तीरथ भटक

मन्दिर तीरथ भटक-भटक कर वृद्ध हो गये छैल। ?चरण पादुका घिस गई घिसा न मन का मैल।

यूँ तो मझे झूठ

यूँ तो मझे झूठ से सख्त नफरत है लेकिन अच्छा लगता है जब वो मुझे अपना कहता है

गिरती हुई बारिश

गिरती हुई बारिश के बूंदों को अपने हाथों से समेट लो, जितना पानी तुम समेट पाए, उतना याद तुम हमें करते हो, जितना पानी तुम समेट ना पाई, उतना याद हम तुम्हे करते हैं।

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