kisi aur ki khatir

Vo kisi aur ki khatir hame bhul bhi gaye to koi baat nahi kabhi hum bhi to bhul gaye the sara jahako unhi ki khatir

दिल के आगंन में

कभी वक्त मिले तो रखना कदम , मेरे दिल के आगंन में ! हैरान रह जाओगे मेरे दिल में , अपना मुकाम |

सब जान के

शहर का शहर है पत्थर जेसा किस किस का एतबार करू बे दरदो के आगे कसे मे बेठ के ईजहार करू दूश्मन है सब जान के

मोहब्बत को तरसे..

अजीब रंग में गुजरी है जिंदगी अपनी. दिलो पर राज़ किया और मोहब्बत को तरसे..

महन्दी ना लगाना तुम

उन कसमो को भी तोड देना उन वादो को भी तोड दना जिन राहो पे थे | हम चले उन राहो को भी छोड देना माफ करना खताए | मेरी नई महफील सजाना तुम भुल जाना वफाये | मेरी अपनी दूनीया बसाना तुम जनाजा मेरा उठने से पहले महन्दी ना लगाना तुम |

हमारी जिन्दगी मे

हाथ पकड कर रोक लेते अगर तझ पर जरा भी जोर होता मेरा ना रोते हम यु तेरे लिये अगर हमारी जिन्दगी मे तेरे शिवा कोई ओर होता

दर्द बेशुमार है

न रंग हैं न बौछार है…फिर वही इंतजा़र है…. फिर बैठे हैं रंग लिए दिल में.. फिर वही दर्द बेशुमार है….!!

कामयाबी के लिए

अकेले करना पड़ता हैं सफ़र जहाँ में कामयाबी के लिए.. काफिला और दोस्त,अक्सर कामयाबी के बाद ही बनते हैं..

ज़रूरत नहीं दोस्तों

शायरी की ज़रूरत नहीं दोस्तों, अनजान है सब यहां इश्क से…. कुछ भी कहो….. सब वाह वाह ही करेंगे !!

जरुर रुला देती है

जो ‘Shakhs’हमेशा हँसता रहता है….!!! उसे एक दिन Mohabbat, जरुर रुला देती है…!!!

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