संदेशा प्रेम का

संदेशा प्रेम का देता फिरता है वो घर दिलों में सभी के ही बना देता है!

कभी टूटा नहीं

कभी टूटा नहीं दिल से तेरी याद का रिश्ता, गुफ्तगू हो न हो ख्याल तेरा ही रहता है !!

कह दो इन हसरतों से

कह दो इन हसरतों से, कही और जाकर बसे; इतनी जगह कहाँ है, दिल ए दागदार मे….!!

आ रही रात की खुशबु

आ रही रात की खुशबु तुझे छूकर हवाओं से दे रहा ईश्क फिर दस्तक भोर की ईन फिजाओं से

तड़पती रहती है

तड़पती रहती है नींद आँखों की दहलीज़ पे तेरी यादों से वावस्तगी मुझें सोने नहीं देती..!

जिसे शिद्दत से

जिसे शिद्दत से चाहो वो मुद्दत से मिलता है, बस मुद्दतों से ही नहीं मिला कोई शिद्दत से चाहने वाला!

सोचा था तुझपे

सोचा था तुझपे प्यार लुटाकर तेरे दिल में घर बनायेंगे… हमे क्या पता था दिल देकर भी हम बेघर रह जाएँगे.…

फुर्सत निकालकर आओ

फुर्सत निकालकर आओ कभी मेरी महफ़िल में…, लौटते वक्त दिल नहीं पाओगे अपने सीने में…

दिलो की गुफ्तगू

दिलो की गुफ्तगू देखो,…!! चलती कलम है नशा पैमाने का है और मदहोशी तुम|

मोहब्बत का असर

मोहब्बत का असर कुछ इस तरह जिन्दा कर देता हूँ मैं मीत, …बेवफाओं को भी गले लगाकर शर्मिंदा कर देता हूँ !!

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