ख़्वाब की तरह

ख़्वाब की तरह बिखर जाने को जी चाहता है ऐसी तन्हाई के मर जाने को जी चाहता है घर की वहशत से लरज़ता हूँ मगर जाने क्यूँ शाम होती है तो घर जाने को जी चाहता है डूब जाऊँ तो कोई मौज निशाँ तक न बताए ऐसी नद्दी में उतर जाने को जी चाहता है… Continue reading ख़्वाब की तरह

खुद को इतना

खुद को इतना भी मत बचाया कर बारिशे हो तो भीग जाया कर चाँद लाकर कोई नहीं देगा अपने चेहरे से जगमगाया कर दर्द हीरा है दर्द मोती है दर्द आँखों से मत बहाया कर काम ले कुछ हसीन होंठो से बातो-बातो मे मुस्कुराया कर धुप मायूस लौट जाती है छत पे कपडे सुखाने आया… Continue reading खुद को इतना

उम्र भर ..बस

उम्र भर ..बस उम्र का .. पीछा किया… काम हमने कौन सा .. सीधा किया ; . पांव जब .. जमने लगे .. मेरे कहीं दिल निकल भागा .. ज़हन रोका किया ; . रोशनी .. अपनी लुटा दी .. हर जगह.. पूछते हो तुम .. कि हमने क्या किया ; . राह चलते ..जब… Continue reading उम्र भर ..बस

है अनोखा यार

है अनोखा यार मेरा , न कोई उसके जबाब का शबनम भी मांगती है, उससे वो चेहरा गुलाब का क्या गर्दन सुराहीदार है भरी है मस्ती शराब की काजल ने चढ़ा रखी है उसके कमाने शबाब की तरिका नहीं है बाकी , अब कोई बचाव का अंगडाई ले के जुल्फें हैं गीली बिखेर दी सब… Continue reading है अनोखा यार

तू जुल्फे सँवारने

तू जुल्फे सँवारने में लगी थी और मैं जिंदगी

हम ख़ुशबू जैसे

हम ख़ुशबू जैसे लोग है, बस बिखरे-बिखरे रहते हैं.

दिन गुजर जायेगे

सब्र कर बन्दे, मुसीबत के दिन गुजर जायेगे. आज जो तुजे देखके हस्ते है. वो कल तुजे देखते रह जायेगे

मै लिखता हूँ

मै लिखता हु शिकायते तेरी तु पढ़ती है मोहब्बत मेरी॥

जनाब बरसों में

आप आये जनाब बरसों में हमने पी है शराब बरसों में

लकीर नहीं हूँ मैं

इंसान हूँ, तहरीर नहीं हूँ मैं । पत्थर पे लिखी लकीर नहीं हूँ मैं ।। मेरे भीतर इक रूह भी बसती है लोगों सिर्फ़ एक अदद शरीर नहीं हूँ मैं ।।

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