मोहब्बत डूब गयी

ये साहिल पर बिखरे हुए फूल उफ्फ्फ न जाने आज फिर किसकी मोहब्बत डूब गयी………

लिखा करती थी

दोनों की पहली चाहत थी ,दोनों टूट के मिला करते थे, वो वादे लिखा करती थी ,में कसमे लिखा करता था ।।

सुकून मिलता है

सुकून मिलता है दो लफ्ज कागज पर उतार कर… . चीख भी लेता हू….और आवाज भी नही होती।

चलो छोड़ दो

चलो छोड़ दो मुझकों मग़र इतना तो बता दो की तुम मुझें याद करते थे या वक़्त बर्बाद करते थे !!!

प्यार उम्मीद से

तुम आओ और कभी दस्तक तो दो इस दिल पर, प्यार उम्मीद से काम हो तो सजा ए मौत दे देना..

अपनी महफ़िल से

ग़रीब समझकर आज उसने उठा दिया हमें अपनी महफ़िल से ? . कोई मेरी ख़ातिर पूछे उनसे, क्या चाँद की महफ़िल में सितारे नहीं होते ??

किसी गरीब को

किसी गरीब को मत सताना। वो तो बस रो देगा पर… उपरवाले ने सुन लिया तो तू अपनी हस्ती खो देंगा..

कुछ दिन के लिए

कुछ दिन के लिए रूठ के अच्छा किया हुजूर… . जितने अधूरे काम थे,निपटा दिए हमने………

दौलत तो साथ

बस दुआएँ बटोरनें आया हूँ, माँ ने कहा, . दौलत तो साथ जाती नहीं”..

दोस्तों से भरे

तू देख कि तुझसे इश्क करने में मुझे कैसे जीना पड़ गया . . दोस्तों से भरे शहर में दीवारों से लिपट कर रोना पड़ गया

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