तब्दीली जब भी आती है

तब्दीली जब भी आती है मौसम की अदाओं में किसी का यूँ बदल जाना बहुत ही याद आता है …

सारी उम्र आंखो मे

सारी उम्र आंखो मे एक सपना याद रहा, सदियाँ बीत गयी पर वो लम्हा याद रहा, ना जाने क्या बात थी उस शख्स में की हम सारी मेहफिल भुल गये बस वह चेहरा याद रहा..!!

नहीं लेने देंगे सुकून

नहीं लेने देंगे सुकून वो मुझको मेरे कफन के बाद भी। वो और दबाते रहेंगे मुझे मेरे दफ़न के बाद भी।

तुम्हारी प्यार भरी निगाहों को

तुम्हारी प्यार भरी निगाहों को हमें कुछ ऐसा गुमान होता है देखो ना मुझे इस कदर मदहोश नज़रों से कि दिल बेईमान होता है।

याद ही नहीं रहता कि

याद ही नहीं रहता कि लोग छोड़ जाते हैं.आगे देख रहा था, कोई पीछे से चला गया.

गलतियों की होती है

माफ़ी गलतियों की होती है धोख़े की नही..!!

कोई ढूंढता है कलमे

कोई ढूंढता है कलमे, चरागों की आड़ में कोई मांग रहा माचिस, फ़साने जलाने को…

चेहरों के लिए आईने

चेहरों के लिए आईने क़ुर्बान किये हैं , इस शौक में अपने बड़े नुकसान किये हैं ।महफ़िल में मुझे गालियां देकर है बहोत खुश , जिस शक्श पे मैंने बड़े बड़े एहसान किये हैं !!

हमने कहा कुछ पुराने

किसी ने पूछा कौन याद आता है, अक्सर तन्हाई में हमने कहा कुछ पुराने रास्ते, खुलती ज़ुल्फे और बस दो आँखें

खामोश हो गए..

बार बार खामोशी की वजह पूछ रहे थे वो “वजह बताई तो वो खुद ही खामोश हो गए..

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