सारे सुने सुनाये है

लफ्ज़ तो सारे सुने सुनाये है,अब तु मेरी ख़ामोशी में ढुँढ जिक्र अपना..

दिल के सच्चे कुछ

दिल के सच्चे कुछ एहसास लिखते है, मामूली शब्दों में ही सही,कुछ खास लिखते हैं|

इस तरह छूटा घर

इस तरह छूटा घर मेरा मुझसे… मैं घर अपने आकर,अपना घर ढूँढता रहा…

नजर झुका के

नजर झुका के जब भी वो,गुजरे है करीब से…. हम ने समझ लिया की आज का आदाब अर्ज हो गया.

तेरी यादो की उल्फ़त

तेरी यादो की उल्फ़त से सजी हे महफिल मेरी… में पागल नही हूँ जो तुझे भूल कर वीरान हो जाऊ…

हमारा भी खयाल कीजिये

हमारा भी खयाल कीजिये कही मर ही ना जाये हम, बहुत ज़हरीली हो चुकी है अब ये खामोशीयां आपकी…

शब्द तो शोर है

शब्द तो शोर है तमाशा है भाव के बिंदु का बिपाशा है मरहम की बात होठो से ना करो मोन ही तो प्रेम की परिभाषा |

तुझ पे उठ्ठी हैं

तुझ पे उठ्ठी हैं वो खोई हुयी साहिर आँखें.. तुझ को मालूम है क्यों उम्र गवाँ दी हमने…

अभी लिखी है

अभी लिखी है गज़ल तो अभी दीजिये दाद़ वो कैसी तारीफ जो मिले मौत के बाद..

फ़न तलाशे है

फ़न तलाशे है दहकते हुए जज़्बात का रंग देख फीका न पड़े आज मुलाक़ात का रंग|

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