हम तो फूलों की तरह अपनी आदत से बेबस हैं। तोडने वाले को भी खुशबू की सजा देते हैं।
Category: दर्द शायरी
तनहाई से नही
तनहाई से नही …. शिकायत तो मुझे उस भीड से हैं … जो तेरी यादो को मिटाने कि कोशिश में होती हैं …..
चुटकियों में ऊड़ाया
मैं भी तो इक सवाल था हल ढूँढते मेरा ये क्या कि चुटकियों में ऊड़ाया गया मुझे
दिलों में नफ़रत
क्या मिलेगा दिलों में नफ़रत रख कर बड़ी मुख्तसर सी ज़िंदगी है मुस्कुरा के मिला करो|
मुझको मेरे वजूद
मुझको मेरे वजूद की हद तक न जानिए , बेहद हूँ, बेहिसाब हूँ, बेइन्तहा हूँ मैं …!!
कहीं इश्क़ ने
वो जो दो पल थे तेरी और मेरी मुस्कान के बीच बस वहीँ कहीं इश्क़ ने जगह बना ली.?
खामोशी अलामत है
मेरी खामोशी अलामत है मेरे इखलाख की इसे बेजूबानी ना समझो