तहजीब की मिसाल

तहजीब की मिसाल गरीबो के घर पे है, दुपट्टा फटा हुआ है फिर भी उनके सर पर है।।

आँसु बहा-बहा कर

आँसु बहा-बहा कर भी होते नहीं हैं कम….!! कितनी अमीर होती हैं, आँखें ग़रीब की….!!!

मेरी शायरियोँ से

मेरी शायरियोँ से तंग आ जाओ, तो बता देना मुझे, वैसे भी मुझे नफरत पसन्द है, मगर दिखावे का प्यार नही..!!

दर्द की कीमत

मैं क्या जानूँ दर्द की कीमत ? मेरे अपने मुझे मुफ्त में देते हैं !

रफ्तार कुछ जिंदगी की

रफ्तार कुछ जिंदगी की यू बनाये रखी हैहमने.. कि दुश्मन भले आगे निकल जाए पर दोस्त कोई पिछे ना छुटेगा.

लोग कहते हैं

लोग कहते हैं कि मेरी पसंद खराब है लेकिन फिर भी मैं तुम्हें पसंद करता हूं।

आप कम हो जायेंगे

अपने कमाए हुए पैसों से खरीदो, शौक अपने आप कम हो जायेंगे..!!

गरीब बाँट लेते है

गरीब बाँट लेते है ईमानदारी से अपना हिस्सा अमीरी अक्सर इंसान को बेईमान बना देती है

अजीब खेल है

अख़बार का भी अजीब खेल है सुबह अमीर की चाय का मजा बढाता है और रात में गरीब के खाने की थाली बन जाता है…!

गरीबी जब दरवाजे

गरीबी जब दरवाजे से अन्दर आती है.. . . . . . तब . . . . . प्यार और मोहब्बत खिड़की से बाहर चले जाते हैं! “

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