नशा मैं रहता हूँ मैं हर वक़्त वजह शराब नही तेरी यादें हैं|
Category: गरीबी शायरी
तु ही जीने की वज़ह
तु ही जीने की वज़ह है तु ही मरने का सबब है तु अजब है , तु गज़ब है , तु ही तब था तु ही अब है……..
जरा सा कतरा
जरा सा कतरा कहीं आज अगर उभरता है ‘ तो समन्दरों के ही लहजे में बात करता है !! सराफ़तों को यहाँ अहमियत नहीं मिलती !! किसी का कुछ न बिगाड़ो तो कौन डरता है!!!!
ना चाहते हुये भी
ना चाहते हुये भी साथ छोड़ना पड़ता है… जनाब,मज़बूरी मोहब्बत से ज्यादा ताकतवर होती है..!!
अब क्या मुकाम आता है
देखिये अब क्या मुकाम आता है साहेब, सूखे पत्ते को इश्क हुआ है बहती हवा से..!!
जख़्म खुद ही बता देंगे
जख़्म खुद ही बता देंगे तीर किसने मारा है …… ये हमने कब कहा कि ये काम तुम्हारा है …
झ़ुठा अपनापन तो
झ़ुठा अपनापन तो हर कोई जताता है… वो अपना ही क्या जो हरपल सताता है… यकीन न करना हर किसी पे.. क्यू की करीब है कितना कोई ये तो वक़्त ही बताता है…
इक तरफ़ आस के
इक तरफ़ आस के कुछ दिए जल उठे इक तरफ़ मन विदा गीत गाने को है प्रिय इस जन्म भी कुछ पता न चला प्यार आता है या सिर्फ़ जाने को है
ज़रा मुस्कुराना भी
ज़रा मुस्कुराना भी सिखा दे ऐ ज़िंदगी, रोना तो पैदा होते ही सीख लिया था!
अब ना मैं वो हूँ
अब ना मैं वो हूँ, न बाकी हैं जमाने मेरे…. फिर भी मशहूर हैं शहरों में फसाने मेरे…!