अनजाने में यूँ ही

अनजाने में यूँ ही हम दिल गँवा बैठे, इस प्यार में कैसे धोखा खा बैठे, उनसे क्या गिला करें.. भूल तो हमारी थी जो बिना दिलवालों से ही दिल लगा बैठे।

जिदंगी मिली तो थी

जिदंगी मिली तो थी दो दिन की मुझे, ये दो दिन भी बीत गए तुमको मनाने में…!!

रोते रहे तुम भी

रोते रहे तुम भी, रोते रहे हम भी; कहते रहे तुम भी और कहते रहे हम भी; ना जाने इस ज़माने को हमारे इश्क़ से क्या नाराज़गी थी; बस समझाते रहे तुम भी और समझाते रहे हम भी।

गैरो के किये हुए वार

गैरो के किये हुए वार जख्म कहाँ देते है ., वो अपने है जो रूह तक हिला देते है …!

बातें हज़ारों से

बातें हज़ारों से महफ़िल में होती है , इशारे बस दिलबर को किये जाते हैं|

आज यह कैसी उदासी

आज यह कैसी उदासी छाई है, तन्हाई के बादल से भीगी जुदाई है, टूट के रोया है फिर मेरा दिल, जाने आज किसकी याद आई है।

फिर मेरे हाथों से

फिर मेरे हाथों से एक एक करके उड़ती गयी … तेरे कसमों और तेरे वादों की सभी तितलियाँ|

खत्म कर दी थी

खत्म कर दी थी जिन्दगी की सब खुशियाँ तुम पर कभी फुर्सत मिले तो सोचना मुहब्बत किसने की थी…..

ये हर सुबह

ये हर सुबह इश्क के जलसे ये हर रात जुदाई के जुलुस … ये बेरोजगार शायर बनना तुम्हारे नौकरी जितना आसान थोड़े है ।

जीत रहा हूँ

जीत रहा हूँ लाखो लोगो का दिल ये शायरी करके लेकिन लोगो को क्या पता अंदर से कितना अकेला हूँ|

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