सुना है तुम तक़दीर देखने का हुनर रखते हो, मेरा हाथ देखकर बताना,पहले तुम आओगे या मौत
Tag: शर्म शायरी
लोग कहते हैं
लोग कहते हैं कि समझो तो खामोशियां भी बोलती हैं, मैं अरसे से खामोश हूं और वो बरसों से बेखबर है…
सिखा दिया
सिखा दिया ‘तुने’ मुझे… अपनों पर भी ‘शक’ करना.. मेरी ‘फितरत’ में तो था… गैरों पर भी ‘भरोसा’ करना!!
तेरे संग रातों
तेरे संग रातों मैं चाँद को ताकते रहना बिखर कर अब तो तारे हो गई वो यादे…।
अमन की आस लिए
अमन की आस लिए कुछ फनकार उसपार से इसपार आना चाहते थे पर कुछ जालिम हे जो अमन को आतंक समज ते थे
कभी बेवजह भी
कभी बेवजह भी कुछ ना कुछ खरीद लिया करो दोस्तों.. ये वो खुद्दार लोग है जो भिख नही मांगते
हम इश्क के
हम इश्क के मारो का इतना सा फसाना है संग रोने को कोई नही हमपे हसने को जमाना है
अमीरी भी क्या चीज़ है
अमीरी भी क्या चीज़ है कुत्ते, बिल्ली, तोता खुद पालते है और खुद के बच्चे आया पालती है
कितने कमज़ोर है
कितने कमज़ोर है यह गुब्बारे, चंद सासों में फूल जाते है, बस ज़रा सी बुलंदिया पाकर, अपनी औकात भूल जाते है…
जख्मों को अपने
जख्मों को अपने अब ढक कर चलता हूँ… आजकल लोगों के लहजों में ही नमक झलकता है…!!