कई रिश्तों को परखा तो नतीजा एक ही निकला, जरूरत ही सब कुछ है, महोब्बत कुछ नहीं होती…..
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मुझ पर इलज़ाम झूठा है
मुझ पर इलज़ाम झूठा है मोहब्बत की नहीं थी हो गयी थी|
हिचकियों में वफ़ा को
हिचकियों में वफ़ा को ढूँढ रहा था मैं..! कमबख्त गुम हो गई…दो घूँट पानी से .. !!
बात हुई थी
बात हुई थी समंदर के किनारे किनारे चलने की.. बातों बातों में निगाहों के समंदर में डूब गए..
अब कहां दुआओं में
अब कहां दुआओं में वो बरकतें,…वो नसीहतें …वो हिदायतें, अब तो बस जरूरतों का जुलुस हैं …मतलबों के सलाम हैं
सजा यह मिली की
सजा यह मिली की आँखों से नींदें छीन ली उसने, जुर्म यह था कि उसके साथ रहने का ख्वाब देखा था|
रिश्ता बेवफाई से
जरुरी नहीं हर रिश्ता बेवफाई से ही खत्म हो,,,, कुछ रिश्ते किसी की ख़ुशी के लिए भी खत्म करने पड़ते है !!
करनी है खुदा से गुजारिश
करनी है खुदा से गुजारिश तेरी दोस्ती के सिवा कोई बंदगी न मिले हर जनम में मिले दोस्त तेरे जैसा या फिर कभी जिंदगी न मिले !!
मेरा खुदा एक ही है..
मेरा खुदा एक ही है…. जिसकी बंदगी से मुझे सकून मिला भटक गया था मै…. जो हर चौखट पर सर झुकाने लगा..
बेनाम सा रिश्ता
बेनाम सा रिश्ता यूँ पनपा है फूल से भंवरा ज्यूँ लिपटा है पलके आंखे, दिया और बाती ऐसा ये अपना रिश्ता है.!!!!