एहसास-ए-मोहब्बत की मिठास से मुझे आगाह न कर ये वो ज़हर है…जो मैं पहले भी पी चुकी हूँ…!!
Tag: शर्म शायरी
नब्ज़ में नुकसान
नब्ज़ में नुकसान बह रहा है लगता है दिल में इश्क़ पल रहा है…!!
मेरी मुहब्बत अक्सर
मेरी मुहब्बत अक्सर ये सवाल करती है… जिनके दिल ही नहीं उनसे ही दिल लगाते क्यूँ हो…
ताउम्र उल्फ़तें
ताउम्र उल्फ़तें और वो छोटी सी आशिक़ी… मरने का तरीक़ा है ये ज़िंदा रहने की हसरतें…
हम ने तो वफ़ा के
हम ने तो वफ़ा के लफ़्ज़ को भी वजू के साथ छूआ जाते वक़्त उस ज़ालिम को इतना भी ख़याल न हुआ
मैं मुसाफ़िर हूँ
मैं मुसाफ़िर हूँ ख़तायें भी हुई होंगी मुझसे, तुम तराज़ू में मग़र मेरे पाँव के छाले रखना..
आपको मिलेगा भी नही..
सज़दा कीजिये या मांगिये दुआये.. जो आपका है ही नही वो आपको मिलेगा भी नही..
बता किस कोने में
बता किस कोने में, सुखाऊँ तेरी यादें, बरसात बाहर भी है, और भीतर भी है..
अपने ही साए में
अपने ही साए में था, मैं शायद छुपा हुआ, जब खुद ही हट गया, तो कही रास्ता मिला…..
प्यार अपनों का
प्यार अपनों का मिटा देता है ,इंसान का वजूद , जिंदा रहना है तो गैरों की नज़र में रहिये…….