इक चेहरा पड़ा मिला

इक चेहरा पड़ा मिला मुझे, रास्ते पर, जरूर किरदार बदलते वक्त गिरा होगा

वो बुलंदियाँ भी

वो बुलंदियाँ भी किस काम की जनाब, जहाँ इंसान चढ़े और इंसानियत उतर जाये ।

चल चल के थक गया है

चल चल के थक गया है कि मंज़िल नहीं कोई, क्यूँ वक़्त एक मोड़ पे ठहरा हुआ सा है…

चलो कुछ बात करते हैं

चलो कुछ बात करते हैं, बिन बोले बिन सुने एक तन्हा मुलाक़ात करते हैं|

चाहकर भी मेरे

चाहकर भी मेरे लब पर ये फ़रियाद आ जाती है ऐ चाँद, सामने न आ किसी की याद आ जाती है…!!

कुछ बातें कह दी जायें

कुछ बातें कह दी जायें तो मुनासिब हैं…… कि प्यार हो या नफरत ज़ाहिर हो जाये तो अच्छा है ..

जानते थे मरने तक

जानते थे मरने तक सताओगे, लेकिन मार के भी सताओगे… ऐसा तो कभी सोचा भी न था|

ज़ुल्फ़ के साए में

ज़ुल्फ़ के साए में एक झुमका छुपा है, उसकी तस्वीर में रात और चाँद दोनों क़ैद हैं|

जब शहर के लोग

जब शहर के लोग न रास्ता दे क्यों वन में ना मैं जा कर ठहरु… दीवानो की सी न बात करे तो और करे दीवाना क्या…

उस हुस्न के सच्चे मोती

उस हुस्न के सच्चे मोती को हम देख सके पर छु न सकें… जिसे देख सके पर छु न सके वह दौलत क्या वह खज़ाना क्या…

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