ये रिवाजी पाबंदिया… ये सरहदे कब हटेगी… इंतज़ार है मुझे एक नई खुशनुमा सुबह का…
Category: शर्म शायरी
भरोसा करते है
हम जिन पर आँखे बन्द करके भरोसा करते है, अक्सर वही लोग हमारी आँखे खोल जाते है
अब कैसे हिसाब हो
उसकी मौहब्बत के कर्ज का, अब कैसे हिसाब हो…. वो गले लगाकर कहती है, आप बड़े खराब हो….
मेरा है मुझमें
अलग दुनिया से हटकर भी कोई दुनिया है मुझमें, फ़क़त रहमत है उसकी और क्या मेरा है मुझमें. मैं अपनी मौज में बहता रहा हूँ सूख कर भी, ख़ुदा ही जानता है कौनसा दरिया है मुझमें. इमारत तो बड़ी है पर कहाँ इसमें रहूँ मैं, न हो जिसमें घुटन वो कौनसा कमरा है मुझमें. दिलासों… Continue reading मेरा है मुझमें
वक्त जरूर लगा
वक्त जरूर लगा पर मैं सम्भल गया क्योंकि। मैं ठोकरों से गिरा था किसी के नज़रों से नहीं।।
उंगली मेरी वफ़ा
उंगली मेरी वफ़ा पे ना उठाना लोगों, … जिसे शक हो वो एक बार निभा कर देखे ।
जिस दिन अपने
जिस दिन अपने कमाए हुए पैसों से जीना सीख जायोगे , उस दिन आपके शौक अपने आप कम हो जायेंगे..!!
बहुत दूर की बात हैं
फ्री में हम किसी को ‘गाली’ तक नहीं देते…,,, ‘स्माइल’ तो बहुत दूर की बात हैं…!!!
इश्क़ तो बस
इश्क़ तो बस नाम दिया है दुनिया ने, एहसास बयां कोई कर पाये तो बात हो
जहर से खतरनाक
जहर से खतरनाक है यह मोहब्बत, जरा सा कोई चख ले तो मर मर के जीता है‼️