बहुत अन्दर तक

बहुत अन्दर तक तबाही मचाता है….. . . वो आंसू जो आँखों से ‘बह’ नहीं पाता है ….!!!

लड़ के थक चुकी हैं

लड़ के थक चुकी हैं जुल्फ़ें तेरी छूके उन्हें आराम दे दो, क़दम हवाओं के भी तेरे गेसुओं से उलझ कर लड़खड़ाने लगे हैं!

मोहब्बत इतनी बुरी भी नही

मोहब्बत इतनी बुरी भी नही जितना मेने सुना था दर्द मोहब्बत नही देती ,मोहब्बत करने वाले देते हे..!!!❗❗❗

बस तू सामने

बस तू सामने बैठ मुझे दीदार करने दे, बातें तो हम खुद से भी कर लिया करते हैं।

हम से पहले भी

हम से पहले भी मुसाफ़िर कई गुज़रे होंगे, कम से कम राह के पत्थर तो हटाते जाते।

शायरी के शोंक ने

शायरी के शोंक ने इतना तो काम कर दिया, जो नहीं जानते थे उनमें भी बदनाम कर दिया।।

एक अजीब सा

एक अजीब सा मंजर नज़र आता हैं … हर एक आँसूं समंदर नज़र आता हैं कहाँ रखूं मैं शीशे सा दिल अपना .. हर किसी के हाथ मैं पत्थर नज़र आता हैं|

धड़कने मेरी बेचैन रहती है

धड़कने मेरी बेचैन रहती है आजकल, क्यूंकि तेरे बगैर ये धड़कती कम और तड़पती ज्यादा है !!❗❗❗

मुड़ के देखा तो

मुड़ के देखा तो है इस बार भी जाते जाते प्यार वो और जियादा तो जताने से रहा दाद मिल जाये ग़ज़ल पर तो ग़नीमत समझो आशना अब कोई सीने तो लगाने से रहा|

फ़लक़ पर जिस दिन

फ़लक़ पर जिस दिन चाँद न हो, आसमाँ पराया लगता है एक दिन जो घर में ‘माँ’ न हो, तो घर पराया लगता है।

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