बड़े होने का मतलब सिर्फ बगावत करना नहीं है इसका मतलब कुछ अपनी कहना कुछ दूसरो की सुनना भी है
Category: प्रेणास्पद शायरी
जो नहीं है
जो नहीं है पर दिखाई देता है ,वह संसार है, जो है पर दिखाई नहीं देता, वह परमात्मा है।
हताशा मे डूबी
हताशा मे डूबी माँ के आंसू जब औलाद पोंछती है..!! हर कर्ज अदा हो जाता है..ममता धन्य हो जाती है..!!
शहर में देखो
शहर में देखो जवानी में बुढ़ापा आ गया पर बुढ़ापे में जवानी, है अभी तक गांव मे
सियासत मुल्क में
सियासत मुल्क में शायद है इक कंगाल की बेटी हर इक बूढा उसे पाने को कैसे छटपटाता है
खुद पर भरोसा
खुद पर भरोसा करने का हुनर सीख लो, सहारे कितने भी सच्चे हो एक दिन साथ छोड़ ही जाते हैं..
हालांकि मेरी माँ
हालांकि मेरी माँ ने कभी तंत्र विद्या नहीं सीखी है पर जिस लड़की पर मै फ़िदा होता हूँ मेरी माँ एक नजर में बता देती है कि ये चुड़ैल है..
वाह रे जमाने
वाह रे जमाने तेरी हद हो गई, बीवी के आगे माँ रद्द हो गई ! बड़ी मेहनत से जिसने पाला, आज वो मोहताज हो गई ! और कल की छोकरी, तेरी सरताज हो गई ! बीवी हमदर्द और माँ सरदर्द हो गई ! वाह रे जमाने तेरी हद हो गई.!! पेट पर सुलाने वाली, पैरों… Continue reading वाह रे जमाने
प्रेम से देती है
प्रेम से देती है, वह है “बहन” झगङकर देता है, वह है “भाई” पुछकर देता है, वह है “पिताजी” और बिना माँगे सबकुछ दे देती है वह है…”माँ’”
खुद मुझे लिखा है
“माँ ” के लिए क्या लिखू ? “माँ ” ने खुद मुझे लिखा है ..