ना बुरा होगा ना बढ़िया होगा

ना बुरा होगा ना बढ़िया होगा, होगा वैसा, जैसा नजरिया होगा ।

धन से बेशक गरीब रहो

धन से बेशक गरीब रहो, पर दिल से रहना धनवान।। अक्सर झोपडी पे लिखा होता है “सुस्वागतम्” और महल वाले लिखते है “कुत्तो से सावधान”।।

मुठ्ठी बंद किये बैठा हूँ

मुठ्ठी बंद किये बैठा हूँ, कोई देख न ले चाँद पकड़ने घर से निकलूँ , जुगनू हाथ लगे

भले ही मैं अपने पिताजी की कुर्सी पर बेठ जाता हूँ

भले ही मैं अपने पिताजी की कुर्सी पर बेठ जाता हूँ , पर आज भी अनुभव के मामले मे मैं उनके घुटनो तक ही आता हूँ ।

विकल्प मिलेंगे बहुत

विकल्प मिलेंगे बहुत, मार्ग भटकाने के लिए, संकल्प एक ही काफ़ी है, मंज़िल तक जाने के लिए. . . चलते रहिए…

घर ढूंढ़ता है

कोई छाँव,  तो कोई शहर ढूंढ़ता है मुसाफिर हमेशा ,एक घर ढूंढ़ता है।। बेताब है जो, सुर्ख़ियों में आने को वो अक्सर अपनी, खबर ढूंढ़ता है।। हथेली पर रखकर, नसीब अपना क्यूँ हर शख्स , मुकद्दर ढूंढ़ता है ।। जलने के , किस शौक में पतंगा चिरागों को जैसे, रातभर ढूंढ़ता है।। उन्हें आदत नहीं,इन… Continue reading घर ढूंढ़ता है

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