तेरी यादो की उल्फ़त

तेरी यादो की उल्फ़त से सजी हे महफिल मेरी… में पागल नही हूँ जो तुझे भूल कर वीरान हो जाऊ…

हमारा भी खयाल कीजिये

हमारा भी खयाल कीजिये कही मर ही ना जाये हम, बहुत ज़हरीली हो चुकी है अब ये खामोशीयां आपकी…

हमे क्या मालुम था

हमे क्या मालुम था ईस तरह रास्ते मै छोड के जायेगी पगली, पता होता तो साथ मे साईकल तो ले आते..

मैंने चाहा है

मैंने चाहा है तुझे आम से इंसाँ की तरह तू मेरा ख़्वाब नहीं है जो बिखर जाएगा|

जमाने में कभी भी

जमाने में कभी भी किस्मतें बदला नही करती!! उम्मीदों से भरोसों से दिलासों से सहारों से

फ़रियाद कर रही हैं

फ़रियाद कर रही हैं तरसी हुई निगाहें… देखे हुऐ किसी को जमाना हो गया…!!!

लोगों की नजरो मे

लोगों की नजरो मे हमारी कोई कीमत ना हो, लेकिन कोई तो होगा जो, हमारा हाथ पकड़ कर खुद पर नाज़ करेगा..

यूँ तो मुझे

यूँ तो मुझे किसी के भी छोड़ जाने का गम नहीं बस, कोई ऐसा था जिससे ये उम्मीद नहीं थी..

सच्चाई के आईने

सच्चाई के आईने, काले हो गये। बुजदिलो के घर मेँ, उजाले हो गये॥ झुठ बाजार मेँ, बेखौफ बिकता रहा। मैने सच कहा तो, जान के लाले हो गये॥…… लहू बेच-बेच कर, जिसने परिवार को पाला । वो भुखा सो गया, जब बच्चे कमानेवाले हो गये।

थोड़ी सी तमीज़

थोड़ी सी तमीज़ मुझे भी फ़रमा मेरे मौला, रंज़िश के इस दौर मे और भी बेख़ौफ़ होता जा रहा हूँ|

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