कद्र मेरी ना समझी

कद्र मेरी ना समझी खुदगर्ज जमाने ने, मेरी कीमत को आंका शहर के बुतखाने ने, कुसूर तेरा न था सब खतायें मेरी थी, खुद को बर्बाद कर लिया तुम्हे आजमाने में, जिन जमीनों पर तुमने पैरों के निशान छोडे हैं, वहीं सजदे किये हैं तेरे इस दिवाने ने, तेरे दिल के अंजुमन से जब रुख्सत… Continue reading कद्र मेरी ना समझी

तेरी हसरत दिल में

तेरी हसरत दिल में यूँ बस गई है, जैसे अंधे को हसरत आँखों की…

कितना अच्छा लगता है

कितना अच्छा लगता है , जब कोई कहता है…… अपना ख्याल रखना मेरे लिए !!

पैसे गिनने में

पैसे गिनने में उस्ताद हैं ये उंगलियाँ… किसी के आंसू पोंछने में ही क्यूँ बेकार है….??

सन्नाटा छा गया

सन्नाटा छा गया बटवारे के किस्से में, जब माँ ने पूछा मै हूँ किसके हिस्से मे|

ज्यादा कुछ नहीं

ज्यादा कुछ नहीं बदला ज़िंदगी में ,,, बस बटुए थोड़े भारी और रिश्ते थोड़े हलके हो गए हैं।

गाँव की गलियाँ

गाँव की गलियाँ भी अब सहमी-सहमी रहती होंगी , की जिन्हें भी पक्की सड़कों तक पहुँचाया वो मुड़के नहीं आये..!!

कहानी जब भी

कहानी जब भी लिखूंगा अपनी उजड़ी हुई ज़िन्दगी की सबसे मजबूत किरदार में तेरा ही ज़िक्र होगा..!!

इकट्ठा कर लिए

इकट्ठा कर लिए हथियार जितने लड़ने वालों ने….!! इकट्ठे करते इतने फूल तो दुनिया महक जाती…..!!

कल ही तो तौबा की

कल ही तो तौबा की मैंने शराब से… कम्बख्त मौसम आज फिर बेईमान हो गया।।

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