जिंदा दिली से चलती है..

कशिश हो तो दुनियां मिलने को मचलती है, जिन्दगी शर्तो से नहीं जिंदा दिली से चलती है..

अब चादर के नीचे

तुझे चिठ्ठीयाँ नहीं करवटों की नकल भेजेंगे.. अब चादर के नीचे .. कार्बन लगाने लगे हैं हम..

मेरी नजर है

तेरे दीदार के काबिल कहाँ मेरी नजर है ……. वो तो तेरी रहमत है जो तेरा रुख इधर है ।।………

Waqt Lagata Hain

Tum the to waqt kahin thaherta nhi tha… Ab waqt guzarne main bhi waqt lagata hain…

कोई ताल्लुक़ तो है

मेरी आँखों का तेरी यादों से कोई ताल्लुक़ तो है, तसवुर में जब भी आते हो…चेहरा खिल सा जाता है…

दर्द देने के लिए

अगर मेरी शायरियो से बुरा लगे,तो बता देना दोस्तो, मै दर्द बाटने के लिए लिखता हूँ , दर्द देने के लिए नहीं॥

बचपन बड़ा होकर

बचपन — बड़ा होकर पायलट बनूँगा, डॉक्टर बनूँगा या इंजीनियर बनूँगा…. जवानी — “अरे भाई वो चपरासी वाला फॉर्म निकला की नही अभी तक

Mohbat Mujhe bhi

Khoye Huwe Ansuo Se Mohbat Mujhe bhi Hai, Teri Tarah Zindgi Se Sikayat Mujhe bhi Hai, Tu Agr Nazuk Hai to Pathar Main Bhi Nahi, Tanhai Me Rone Ki Aadat Mujhe bhi Hai.

रूठ जाए तुमसे

रिश्तों में इतनी बेरुख़ी भी अच्छी नहीं हुज़ूर.. देखना कहीं मनाने वाला ही ना रूठ जाए तुमसे..!!

मेरी वाली तो

: मेरी वाली तो इतनी भुल्लकड़ है…. पगली पैदा होना ही भूल गयी.

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