मुझे देख के

मुझे देख के न मुस्कुरा ज़रा मुस्कुरा के देख ले

समझ में नहीं आते

अच्छी किताबें और सच्चे लोग तुरंत समझ में नहीं आते

खाली खाली सा

मैदान मोहल्ले का, जाने कब से खाली खाली सा है कोई मोबाइल शायद बच्चों की गेंद चुराकर ले गया

आ जाते हैं

आ जाते हैं वो भी रोज ख्बाबो मे, जो कहते हैं हम तो कही जाते ही नही

ज़िन्दगी के हाथ

ज़िन्दगी के हाथ नहीं होते.. लेकिन कभी कभी वो ऐसा थप्पड़ मारती हैं जो पूरी उम्र याद रहता हैं

दोस्ती कीमती है

लेकिन दोस्ती कीमती है, केवल मुश्किल में नहीं , बल्कि जीवन के सुखद क्षणों में भी, और धन्यवाद है उस उदार व्यवस्था को कि जीवन का बड़ा हिस्सा सुखद होता है.

एक ताबीर की

एक ताबीर की सूरत नज़र आई है इधर सो उठा लाया हूँ सब ख़्वाब पुराने वाले

दूरियाँ अब बढ़ रही हैं

सबूतों की ज़रूरत पड़ रही है, यक़ीनन दूरियाँ अब बढ़ रही हैं..

अब बंद कर दिया है

अब बंद कर दिया है जज़्बाते-बयां हमने भी… क्योंकि झूंठ हमसे बोला नही और सच वो समझते नही….

तुमने देखा ही कहाँ

तुम ना लगा पाओगे अंदाजा मेरी तबाही का…, तुमने देखा ही कहाँ है…मुझे शाम होने के बाद…।

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