ये साहिल पर बिखरे हुए फूल उफ्फ्फ न जाने आज फिर किसकी मोहब्बत डूब गयी………
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लिखा करती थी
दोनों की पहली चाहत थी ,दोनों टूट के मिला करते थे, वो वादे लिखा करती थी ,में कसमे लिखा करता था ।।
सुकून मिलता है
सुकून मिलता है दो लफ्ज कागज पर उतार कर… . चीख भी लेता हू….और आवाज भी नही होती।
मुश्किल वक़्त पे
मुझे जानू कहने वाली गर्ल फ्रेंड नही भी मिली तो चलेगा पर……. मुश्किल वक़्त पे भाई कहने वाला दोस्त होना चाइये….
नही है शिकवा
नही है शिकवा हमे किसी की बेरुखी से.. शायद हमे ही नही आता दिलो में घर बनाना..
मां के पैर छूकर
बदल गया है जमाना, पहले मां के पैर छूकर घर से निकलते थे… और अब मोबाईल फोन की बैटरी फुल करके….
मेरी सादगी से
मेरी सादगी से लोग जलें तो मेरा क्या कसूर…!! पैसौ की अमीरी तो आम बात है .. दिल की अमीरी खुदा किसी किसी को देता है.
खुद को इश्क से
वो नकाब लगा कर खुद को इश्क से महफूज समझती रही, नादान इतना नही समझी कि इश्क चेहरे से नही नजरों से शुरू होता है..!!
चलो छोड़ दो
चलो छोड़ दो मुझकों मग़र इतना तो बता दो की तुम मुझें याद करते थे या वक़्त बर्बाद करते थे !!!
प्यार उम्मीद से
तुम आओ और कभी दस्तक तो दो इस दिल पर, प्यार उम्मीद से काम हो तो सजा ए मौत दे देना..